• Published : 15 Dec, 2017
  • Comments : 0
  • Rating : 0

     

चुप रहते हैं बोलते नहीं आजकल 
भरम टूटा यूँ कि समझदार हो गए 

 दर्द का एहसास होता ही नहीं 
जख्म मिले इतने गहरे कि दर्द से बेज़ार हो गए 

किसान जब से कर्ज़दार हो गए 
व्यापारी जमींदार हो गए 

 होने लगा ख्यालों खवाबों का मोल   
जिंदगी हम तेरे कर्ज़दार हो गए 

बनाने वाले ही तोड़ रहे सरेआम 
कानून वैसे तो बेशुमार हो गए 

बीच सड़क, अस्मिता तार तार होती हर रोज  
बिक गए या लापरवाह पहरेदार हो गए 

क्या पहने, क्या खाये, क्या बोले, 
कुछ लोग  हर बात के ठेकेदार  हो गए 

एक नाम एक ही था मालिक इस दुनिया का 
नाम, रूप उसके आज हजार हो गए 

किसीका खुदा, किसीका भगवान, ईसा किसीका 
कितने आज मौला तेरे हक़ दार हो गए 

खुशनुमा लम्हों को यादों में सजाया लिया  जबसे 
घर आँगन सब गुलजार हो गए 

पढ़ पाए न चेहरों की इबारतें
इस इम्तहान में फेल  कई बार हो गए 

फिर हुए खुद से दूर हम 
जब जब सोचा हम समझ दर हो गए 

बहुत लम्बी  सी इस डगर में जिंदगी 
तेरी कहानी का छोटा सा किरदार हो गए 

 तनहा  पाया जब जब  बीच भवँर में 
खुद ही अपनी कश्ती के हम  पतवार हो गए 

सुकून के कुछ पल मिले थे अभी, कि 
शोरो- गुल   से फिर दो चार हो गए 

सिर्फ हादसों की दुकान, आजकल 
ये सारे अखबार हो गए 

 परदे में रहने वाले खूबसूरत लम्हे भी 
अब तो सड़क में टंगे हुए इश्तिहार हो गए 

                 ऐसा कभी हुआ ही नहीं 

चुप रहते हैं बोलते नहीं आजकल 
भरम टूटा यूँ कि समझदार हो गए 

About the Author

Saroj Singh

Member Since: 13 Apr, 2014

I loveto  write and read  poetry  ,stories .memoirs etchave witten a poetry  book which is under publication right now ...I  write on  three...blog  .  1.dalal saroj 99.wordpress.com  (meri jamin mera...

View Profile
Share
Average user rating

0


Kindly login or register to rate the story
Total Vote(s)

0

Total Reads

659

Recent Publication
Aisa Kabhi Hua Hi Nahi-ऐसा कभी हुआ ही नहीं
Published on: 15 Dec, 2017
Hai Bheed Bahut Is Shahar Ki Har Gali Mein
Published on: 14 Sep, 2015
Bas Ek Sawal
Published on: 24 Aug, 2015
WHY KEEP SITTING ?
Published on: 01 Oct, 2014
IF i get .........
Published on: 01 Oct, 2014

Leave Comments

Please Login or Register to post comments

Comments