• Published : 05 Sep, 2015
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काश मेरी तरह ज़िन्दगी आपने कुछ दिन ही गुज़ारी होती,

मेरे फैसले पे आज उंगलियां ना यूँ उठाई होती !

उनके सौ जूठ पे आपने कर लिया यकीन ,

काश मेरे एक सच को जानने की पहले कोशिश तो की होती !

मुझसे भी अगर आपका रिश्ता खून का होता,

यक़ीनन यु न बेबात नसीहत की झड़ी लगाई होती !

एक तरफी बातें सुन कर कर दिया फैसला ,

काश इंसानियत की नज़र से इन्साफ की भी कोशिश की होती !

रिश्तों की कदर करना हमें न आया होता तो ,

नफरत करने वालो के साथ आधी उम्र यु ही न गवांयी होती !

उम्र में छोटे हर दौर में क्यूं जज़्बाती ज़ुल्म का शिकार होते रहे ?

किस किताब में लिखा है की बड़ो से गलतियां कभी नहीं होती !

जिगर है तो किसी दिन मेरी भी पूरी कहानी सुन ,

सिर्फ कहने सुनने की किताबी बाते अब हमे बर्दाश्त नहीं होती !!
 

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Disha Nagar

Member Since: 25 Aug, 2015

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