छोर है यह मेरे सपनो का
लगा के पंख मै उड़ जाऊं
अब है कोई माझी
इस नदिया का
अलमस्त सा|
आज गिन रहा है
लहरों के तार
किसी खवाब की तरह
कोई पूछता है
तो बस एक धुन|
तुम याद रखोगे
यह बिन परचम
धुंध मे सिमटा हुआ समां
तो घबरा मत देना
किनारे तो और भी है|
Member Since: 21 Jul, 2015
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