• Published : 31 Aug, 2015
  • Comments : 0
  • Rating : 0

तेरी ही सियासत चलती है ज़हन पर तु रूके तो रूक ता है फलक पाने को तरसे तेरी ही झलक ..! ख़ानाबदोश बदरी को देखंु ...! तो ... बुंद बरश जाती है नयन पर तेरी ही सियासत चलती है ज़हन पर देख .... जमीं भी तु क़ुदरत भी तु सरगम भी तु हरकत भी तु दुर कही .. गुम है ..होश मेरा नज़दीक़ कही ... लिपटी भी तु ..! लापता हुँ कही एक ज़माने से ... छुप कर निकलता हुँ बहाने से .....! वही रहता हुँ, खोने से डरता हुँ तेरा हसीन रौब सहन कर ..! तेरी ही सियासत चलती है ज़हन पर..!

About the Author

Kapil Pujari

Member Since: 31 Aug, 2015

मेरे ज़हन मे एक दुनिया है, मै वहाँ का बाशिंदा हुँ ...! उस दुनिया मे ख्याल ही है जो मेरे जीने का सहारा ...

View Profile
Share
Average user rating

0


Kindly login or register to rate the story
Total Vote(s)

0

Total Reads

448

Recent Publication
My mind is your kingdom
Published on: 31 Aug, 2015
Qubool Karta Hoon
Published on: 03 Sep, 2015

Leave Comments

Please Login or Register to post comments

Comments