• Published : 17 Sep, 2015
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वो जो कहते हो इशारो से
तुम अपनी कविताओ में
मुझे मालूम है बाबू
मेरी ही बात करते हो

कह देते हो बड़ी असानी से
तुम मुझे हर बार वेवफा़
कुछ तो मोहाब्बत समझो बाबू
जो इतना आशिक बनते हो

शायद तुम्हे मैं मिल जाऊ 
य मिल के मैं बिछण जाऊ
मै नही तुम्हारा जीवन बाबू
जो खोने से इतना डरते हो

मै ख्वाब नही सच्चाई हूँ
मै प्यार नही तनहाई हूँ
मै नही तुम्हारी मंज़िल बाबू
जो मुझपे इतना मरते हो

मै अन्त नही मै उद्भव हूँ
मै सरस दिल एक अनुभव हूँ
मै नही तुम्हारा भगवन बाबू
जो मेरी साधना करते हो

क्यो कहते हो कि जी न सकूगा
तुम न मिली तो रह न सकूगा
मै नही तुम्हारी सासें बाबू
जो इतनी हसरत रखते हो

माना मुझसे मोहाब्बत करते हो
और मुझपे जान छिणकते हो
पर मै नही तुम्हारे जैसे बाबू
जो खुद को सताया करते हो

 

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Raj Kumar Dwive

Member Since: 16 Sep, 2015

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Published on: 17 Sep, 2015

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