• Published : 05 Sep, 2015
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सात अरब सबने और एक ग्रह,

हो गया है यहाँ प्रदूषण का संग्रह |

 

आज वातावरण में प्रदूषण बृद्धि के कारण

मौसम चक्र काफी अनिश्चित हो गया है|

कही अतिवृष्टि तो कही अनावृष्टि,

तो कही भूमिगत जल भी उपलब्ध नहीं हो रहा है|

 

पिघलते ग्लेशियर जलते घटते वन,

प्रदूषित हवा, जल और विषाक्त अन्न|

औद्योगिक कचरे की जो धार बही,

गंगा - यमुना और अनेक नदियों को मार|

ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भू मंडल नाशक है,

ठोस अपशिष्ट पालीथीन से बनी धरती नाजुक है|

भूमि हो रही बंजर, उर्बरको की बीमारी से,

पानी ऊर्जा की बर्बादी नित बढ़ती आबादी से|

जल, वायु और ये भूमि कुछ भी स्वच्छ रहा नही,

रोग मिल रहे ऐसे- ऐसे, जिनकी कोई दवा नहीं|

 

आज समय की मांग यही है, कुछ होश की बात करे,

बेरंग होते इस पर्यावरण की, हम हरित शुरुआत करे|

भले ही पेड़ लगाए एक, पूरी करे उसकी देखरेख,

सौर ऊर्जा का करे प्रयोग, कम करे विद्युत उपयोग|

रासायनिक खाद का कम छिड़काव, प्रदूषित भूमि से बचाव,

प्लास्टिक बैग को करे ना हमेशा भूमि प्रदूषण से सुरक्षा|

पर्यावरण का जब ही न्यूनतम शोषण, भाग जायेंगे सब प्रदूषण,

भोजन की जब अधिक खपत,  अर्थव्यवस्था में लगी चपत|

आइये, सात अरब कदम चले एक ताल,

प्राकृतिक संसाधनो से समुचित उपयोग से

पृथ्वी हो जाये खुशहाल|

 

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Sweta Sinha

Member Since: 15 Aug, 2015

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