• Published : 18 Aug, 2015
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ममता का जन्म

एक चीख़ मारी कोख ने,
लहु बहा शरीर  से ।
दर्द सहा हडि्डयों ने,
तब हुअा ममता का जन्म ॥

एक चीख़ मारी कोख ने,
लहु बहा शरीर  से ।
दर्द सहा हडि्डयों ने,
तब हुअा ममता का जन्म ॥

जब उस जान को छुआ मैंने,
जाने कैेसे ममता बही छाती से ।
लगाया उसे तन से जब,
तब हुअा ममता का जन्म ॥

नींद आँखों से ओझल हुईं,
सूजन हर जगह कहीं ।
फिर भी उसके रोने पे बैचेन हों उठे मन,
तब हुअा ममता का जन्म ॥

सबसे छिपाकर रखा मैंने,
धूप छाँव से बचाकर  रखा मैंने ।
पर जब हर समय निहारा मेैंने,
तब हुअा ममता का जन्म ॥

घबरा जाती  हूँ मैं ,
सबका सुनती  हूँ मैं ।
पर हमेशा उसीसे सीखाती हूँ मैं,
तब हुआ ममता का जन्म ॥

चाहे  दिखे किसी के जैसा भी,
रहेगा अक्स मेरा ही ।
और जब करेगा कल नाम रोशन,
तब हुआ ममता का जन्म ॥

हर साल तेरा जन्मदिन मनाएँ ,
मेरी झुर्रियाँ तेरी बलाएं लेजाएं ।
मरकर भी मेरी ममता  हमेशा रहे तेरे संग,
तब हुआ ममता का जन्म ॥

 

 

 

 

 

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Annu Anand

Member Since: 31 Jul, 2014

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