• Published : 04 May, 2024
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चाय-पत्ती और चीनी ख़तम है,

सीता की ये आवाज़ सुन ,

राम घर से निकल चुके थे .

जटायु की दूकान में उधार का खाता था,

पर वो  पिछला हिसाब ही मांगता था.

लव- कुश सरकारी स्कूल की खिचड़ी पे पलते थे,

पर रात में वो भी भूखे  सोते थे ,

कौशल्या को वृधावस्था पेंशन महीनो से मिली नहीं थी ,

दवा के बिना दम तोड़ती  घर के कोने में कही पड़ी  थी

इंदिरा आवास पे छत गिरी नहीं थी,

क्यूंकि घूस के बिना दूसरी किस्त मिली नहीं थी,

लक्ष्मण और शत्रुघ्न कई दिनों से बेगार  थे ,

भरत सजायाफ्ता मुजरिम की तरह फरार थे,

महंगाई हर जगह छा रही थी ,

गरीबी घर में आराम फरमा रही थी ,

चावल और दाल के डिब्बे कई दिनों से खाली थे ,

सरकारी नल में तो पानी के भी लाले थे ,

लव - कुश के सूखे चेहरे देख सीता का मन भर आया ,

आज ममता ने मर्यादा को रौंद दिया,

 सीता ने रावन को निमंत्रण भेज दिया ,

सीता अब डुप्लेक्स फ्लैट में रहती है ,

रावण के संग मर्सिडीज़ में चलती है,

लोकतंत्र में यारों ऐसा ही होता है,

रावण सत्ता के गलियारों  में, और,

राम सड़क पर सोता है ,

हाँ , राम सड़क पर सोता है

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Shubhash

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Still in search of myself what i m ...

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