• Published : 06 Sep, 2015
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आरक्षण का बीज जो कल तूने था बोया ,
पेड़ बना बबूल का, अब तू क्यों रोया
रोया अब तू क्यों ? अब तो हो गई बरबादी
50% सीटों पर 2% आबादी ! (1)

कल तक का खोटा सिक्का अब बन सोना इठलाए
ऊँची जात बताने वाले अब खुद को पिछड़ा दिखलाएँ
पिछड़ा दिखलाएँ सब चाहें आरक्षण ढाल
उल्टा देखो हंस चला कौए की चाल I2I

आरक्षण है बना कनक, किसी का भाग्य बनाए
मेहनत करने वाला कनक से जान गँवाए
जान गँवाए देश, फंसा गले में फांस
आरक्षण अब तय करे, कौन फ़ेल कौन पास? I3I

आरक्षण है सुरसा मुख , होता विकराल
हनुमान भी छोटे पड़ जाएँ , भले कितने विशाल
भले कितना विशाल हो सामान्य वर्ग, पड़ जाए छोटा
न नौकरी न शिक्षा , अगर जो न हो कोटा I4I

चाहते तो थे जोड़ सभी को ,कर दें एक
पर कल तक जो थे एक, वो भी अब हुए अनेक
हुए अनेक जैन , पटेल , गुर्जर और जाट
आरक्षण का लोभ , हो गया बंदरबाट I5I

हों अमीर , पर पिछड़ेपन  में कोई फर्क नहीं पड़ता है
काम से पाते थे जो कल तक , अब सिर्फ नाम दिखाना पड़ता है
नाम दिखाकर होती अब हर बाधा पार
जंगल पर अब राज करे रंगा सियार I6I

आरक्षण के चूल्हे पर नेता सेके हैं रोटी
धर्म, जात, नाम पर समाज बोटी बोटी
बोटी बोटी साथ में रख, ना कोई परसे थाली
वोट ना कम हो जाये , सो आरक्षण की लत है पाली I7I

कल तक था छोटा फोड़ा जो, आज बना नासूर
नब्बे प्रतिशत लाकर भी , बच्चे मजबूर
हो पक्षपात से त्रस्त, बन रहे नक्सलवादी
क्षोभ में है जनता, अब आने को आँधी I8I
 
देना ही है अवसर तो दो , केवल स्कूलों में आरक्षण
उसको मिले गरीब है जो , जाति ना हो कारण
जाति ना हो कारण तो , ना बँटे समाज
कल होगा उसका , जो उद्यम करेगा आज I9I

आरक्षण हटेगा , तभी तो
हर जन खास ,हर जन आम होगा
अक्ल होगी बड़ी भैंस से,
“नाम” से बड़ा फिर “काम” होगा II10II

 

About the Author

Pradhi Goel

Member Since: 29 Aug, 2015

I am an air traffic controller at airport authority of India. Working among the planes I realised there is as much rhythm in air as on ground in our lives.And i started writing poems with the aim to capture this cadence. I like to think of ...

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