• Published : 04 Sep, 2020
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चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं,

गले लगा कर अपनी गरीब कुर्सी पे बैठते हैं,

चीनी जैसी मीठी मुस्कान को तुम्हारी देखते हैं

चलो आज कुछ पुराणी यादें ताज़ा करते हैं ।

 

चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं,

साथ बैठ कर होती बारिश को निहारते हैं,

पूछते हैं तुमसे ज़िन्दगी कैसी कट रही,

चलो आज दिल को दिल से मिलते हैं ।

 

चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं,

एक दूसरे को हस्ते हैं और हसातें हैं,

आँखें चुराकर अपने गम को छुपाते हैं,

चलो आज कुछ नयी बातें बताते हैं ।

 

चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं,

भाग दौर के इस दुनिया में सुकून के दो पल चुराते हैं,

लम्बी लम्बी साँसों में चाय की खुशबू को भरे,

चलो आज इस साथ का लुफ्त उठाते हैं ।

 

चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं,

गर्म प्याले को हथेली में भढ़ कर,

बड़ी बड़ी चीज़ो के पीछे आज नहीं भागते हैं,

चलो आज कुछ पल के लिए बच्चे बन जाते हैं ।

 

चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं,

चलो आज तुम्हे चाय पे बुलाते हैं ।

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Yashika Kant

Member Since: 03 Sep, 2016

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