• Published : 26 Aug, 2015
  • Comments : 9
  • Rating : 4.92

समय के रूप

समय गीता की शिक्षा है,

तो समय कभी सीता की अग्नि -परीक्षा  भी है।

समय एकलव्य द्वारा दी गई  महान दीक्षा है,

तो समय पांडवों द्वारा की गई प्रतीक्षा भी है।

समय अहं नाश हेतु  सुदामा की  भीक्षा है,

तो कभी वरदान स्वरूप  पायी गई इच्छा  भी है,

सच कहूँ , तो समय इतिहास की समीक्षा भी है।

 

समय प्राण है,

तो समय विधि का विधान  भी है।

समय अत्यंत महान है,

तो समय प्रचंड बलवान भी है।

समय सबसे बड़ा ज्ञान और विज्ञान है,

सच कहूँ तो, समय प्रत्यक्ष भगवान है।

 

समय कभी समुद्र मंथन है,

तो समय आत्म-चिंतन भी है।

समय कभी उत्थान है,

तो समय कभी पतन भी है।

 

समय जीता हुआ रण है,

तो कभी हारा हुआ मन भी है ,

सच कहूँ तो, समय अमूल्य धन भी है।

 

समय यम है,

तो समय नियम भी है।

समय कभी सम है,

तो समय कभी विषम भी है।

 

समय कभी  विरह का गीत है,

तो समय कभी मिलन की प्रीति  है।

समय समाज की रीति भी है,

सच कहूँ तो,समय नियति की नीति भी है।

 

समय कभी पंच है,

तो समय कभी प्रपंच भी है।

 

समय राजा है,

तो समय प्रजा भी है।

 

समय कभी सुबह की रश्मिरथी की भाँति  चढ़ता है,

तो कभी संध्या की रवि की भाँति ढलता भी है।

 

समय कर्म है,

तो समय धर्म भी है।

 

समय कभी आग बन जलाती है,

तो कभी मेघ बन भीगाती है।

 

समय पुरूषार्थ है,

समय कृष्ण का पार्थ भी है,

तो समय यथार्थ भी है।

 

समय अर्थ है,

समय सबसे समर्थ भी है,

पर समय व्यर्थ नहीं है।

 

देवताओं का अमृतपान समय है,

तो विश्व  कल्याण हेतु शिव का विषपान भी समय है।

 

समय असीम कल्पना है,

तो समय असीम संभावना भी है।

 

समय कभी फ़लक पर चमकता सितारा है,

तो कभी सूर्य का दहकता पारा भी है।

समय कभी नदियों की प्रचंड धारा है

तो समय कभी जीवन का किनारा भी  है।

समय कभी ए०टी०एम बन धन बरसाता है,

तो कभी ऐटम बम बन मौत भी बरसाता है।

 

समय मौन है,

समय मुखर भी है,

पर समय  गौण नहीं है।

 

समय ब्रहं का निराकार रूप है,

तो समय राम और कृष्ण का साकार रूप भी है।

 

कौरवों के द्वारा पांडवों के विरुद्ध बिछाया हुआ पासा और पाश समय है,

तो कृष्ण के छल और बल से उसका सर्वनाश भी समय है।

 

प्रहलाद की अटूट भगवत् -भक्ति  समय है,

तो नरसिंह अवतार की प्रचंड शक्ति भी समय है।

 

समय सीता और राम का काटा हुआ वनवास है,

तो कभी देवकी और वसुदेव का काटा हुआ कारावास  भी है।

समय कभी काल और महाकाल का विकराल रूप है,

तो कभी महामाया और रति का मनोहर स्वरूप भी है।

 

समय जवानी है,

तो समय बूढ़ापे की कहानी भी है,

सच कहूँ तो, समय वीणा -पाणि की वाणी भी है ।

 

समय कभी आस है,तो समय कभी प्यास है,

समय कभी दूर है,तो समय कभी पास है,

समय कभी मौका है,तो समय कभी तलाश है,

समय कभी साँस है, तो समय कभी नाश भी है।

 

समय कभी सापेक्ष है, तो समय कभी निरपेक्ष है,

समय न पक्ष है, न विपक्ष है,

सच कहूँ तो, समय मूलतः निष्पक्ष है।

 

समय मूल है,

तो समय उसूल भी है,

पर समय धूल नहीं है।

समय कभी शिव का त्रिशूल है,

तो कभी  वसंत का फूल भी है।

 

समय कभी तुम्हारा है,

तो समय कभी हमारा है,

समय न अपना है, न पराया है,

सच कहूँ, समय तो सिर्फ समय का साया है।

 

अगर समय पर आपको अहं है,

तो थोड़ा सहम जाइए,

तो ये आपका बहुत बड़ा वहम् है।

क्योंकि समय कभी फरारी की सवारी है,

तो कभी खटारा गाड़ी भी है।

 

लोग कहते हैं,

 चूका हुआ समय पुन: नहीं आता है,

पर ज्ञानी मानते है,समय सबसे बड़ा बहरूपिया है,

यह वेश बदलकर फिर आता है, फिर आता है, फिर आता है।

 

 

 

 

                       गंगा

गंगा भारत के इतिहास की कहानी है,

गंगा के पानी में जीवन की रवानी  है,

संसार में नहीं इसकी कोई  सानी है,

ये  बात सबों  ने मानी है।

 

जो गंगा हमें  जीवन और अमृत समान जल देती है,

बदले में, हम उसे  छल और मल देते हैं।

ये गंगा की संस्कृति है,

और हमारी  दानवीय वृत्ति है।

 

शिव की जटाओं से फूटती  गंगा,

अपने प्रचंड वेग से बहती,

धरा को सींचती और इसका श्रृंगार करती ।

 

पतित पावनी गंगा ,

हमारे पाप,ताप, संताप धोती और हरती,

हमारे पुरखों के मिट्टी का उद्धार करती,

सदियों से हमारे संस्कृति और इतिहास की कहानी गढ़ती, रचती और गर्व से सुनाती ।

 

पारस रूपी जल से धरा पर,

स्वर्ग उतार लाती,

देती, सिर्फ देती,

देते नहीं थकती,

पर आज रोती, बिलखती,

अपने दुर्दशा की कहानी कहते नहीं थकती ,

कभी चलती,कभी थकती,

कभी मुड़ती,कभी रूकती,

कभी सुप्त होती तो कभी लुप्त होती,

कभी हमें झकझोरती तो कभी हमें पुकारती,

कभी अपनी व्यथा कहते-कहते,

मौन से मुखर हो जाती ।

 

काश ! हम थोड़ा मानव बन जाते,

तो शायद भागीरथी ॠषि की आत्मा को शान्ति मलती ,

 और , मइया हमें अभी भी वर देती,वर देती, वर देती ।

 

पर हम मानव से दानव हुए,

अपने लालसा और लालच में मगन,

कहाँ उनकी मौन-चीत्कार को सुनते और ससमझते,

भौतिक विकास का ढिंढोरा पीटते,

अपनी पीठ अपने थपथपाते,

बड़े-बड़े पुल और बैराज देख ,

फूलते और इठलाते,

और इस तरह गंगा मइया को लील जाते।

 

दुख इस बात का है,

कि साधना प्रमुख संस्कृति आज साधन प्रमुख बन गई है ।

 

गंगा की व्यथा की कथा को,

अगर पटकथा का रूप मिले,

तो नयनों से एक और गंगा,

फूट पड़े !

 

बस अब प्रतीक्षा है,

और एक राम की  ।

काश ! आएँ ,

और उद्धार करें ,

एक और अहिल्या रूपी गंगा की ।

 

 

 

                       वसंत

सरस्वती की वीणा वसंत है ।

तो ॠतुओं का नगीना वसंत है ।

 

उर्वशी का रूप वसंत है,

तो सर्दी का धूप भी वसंत है।

 

पूरबा ब्यार की मादकता और शीतलता वसंत है  ।

तो चाँदनी की धवलता और सुंदरता भी वसंत है।

 

धरती  की  स्वाभाविक गति वसंत  है,

तो वर्तमान युग की भौतिक प्रगति  भी  वसंत है।

 

प्रकृति  की नवीनता वसंत है  ,

तो अर्जुन की प्रवीणता भी वसंत है।

 

विवाह का मंगल -गान वसंत है ,

तो रण -विजय का नाम वसंत  है।

 

तोता मैना की कहानी वसंत  है ,

तो चढ़ती जवानी भी  वसंत है।

 

शिव  के डमरू का नाद वसंत है ,

तो भाँग  पीने  से उत्पन्न मस्तमौला उन्माद भी वसंत है।

 

बच्चन रचित 'मधुशाला' वसंत है,

अपने सोलहवें  वसंत  पर इठलाती और बलखाती सुंदर बाला भी वसंत है ।

 

धरती से सितारों की यात्रा वसंत है,

 शास्त्रीय संगीत की  मात्रा भी वसंत है,

तो ॠषि वात्सायन रचित 'कामसूत्रा' भी वसंत  है।

 

सुहागिनों का सुहाग वसंत है,

तो कविओं में प्रज्ज्वलित आग भी वसंत है ।

 

आर्यभट का शून्य वसंत है ,

तो तपस्या का पूण्य भी वसंत है ।

 

साहित्य की भाषा वसंत है ,

तो कवियों की अभिलाषा भी वसंत है ।

 

बनारस का प्रसिद्ध भाँग और पान वसंत है ,

तो भारतीय वैज्ञानिकों की साधना का 'मंगल-यान ' भी वसंत है ।

 

मिठाई में सोहन हलवा वसंत है ,

तो दिल्ली विधान-सभा चुनाव  में केजरीवाल का जलवा भी वसंत है ।

 

गंगा,जमुना और सरस्वती का संगम वसंत है ,

तो भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी तहजीब का समागम भी वसंत है ।

 

कुंभ के मेले का इन्द्रधनुषी रंग वसंत है,

तो भारतीय तीज-त्योहारों का उल्लास और उमंग भी वसंत है।

 

अजंता और एलोरा की जीवंत मूर्तियाँ वसंत हैं ,

 तो बिहारी और कालीदास की साहित्यिक कीर्तियाँ भी वसंत है ।

 

आगरा का 'ताजमहल' वसंत है ,

तो जयपुर का 'हवामहल' भी वसंत है ।

धरती का स्वर्ग कश्मीर वसंत है ,

तो अजमेर शरीफ का पीर भी है ।

 

प्रकृति के सुंदर नजारे वसंत हैं,

तो आसमान में चमकते चाँद-सितारे भी वसंत हैं ।

 

तानसेन की रूहानी तान वसंत है,

तो लता मंगेशकर की मधुर गान भी वसंत है ।

 

पंक्षियों का मनोहर रंग और पंख वसंत है,

तो समुद्र  का मोती और  शंख वसंत है।

 

भोले नवनिहालों की तुतली वाणी वसंत है,

तो परियों की कहानी वसंत है।

 

विसमिल्ला खाँ  की  शहनाई वसंत है,

तो जगत चलाने वाले शाईं भी वसंत है।

 

पुष्पों का सुगंध युक्त होना वसंत है,

तो नदियों का जलयुक्त होना वसंत है।

 

राम के द्वारा अहिल्या का उद्धार वसंत है,

तो कृष्ण और सुदामा का पवित्र प्यार वसंत है।

 

विराट कोहली का चौका-छक्का वसंत है,

तो अनुष्का का लटका-इटका भी वसंत है।

 

बगला भगतों को जेल पहुँचाना वसंत है,

देश  भक्तों में मेल कराना भी  वसंत है।

 

पाकिस्तान के विरुद्ध विश्व-कप में भारत की जीत वसंत है,

तो होली में  शत्रुओं से गले मिलने की रीति भी वसंत है।

 

पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण वसंत है,

तो विपरीत लिंगों के प्रति स्वभाविक आकर्षण भी वसंत है।

 

भारतीय संस्कृति की समृद्ध प्रचीन विरासत वसंत है,

तो पश्चिमी संस्कृति की व्यवधानों और बाधाओं को जीतने की आदत भी वसंत है।

 

भारत के साहस और शौर्य का प्रतीक अग्नि-५ मिसाइल का सफल परीक्षण वसंत है,

तो संस्कृति,संस्कार और साहित्य का शिक्षण भी वसंत है।

 

इन्द्रधनुष के सात रंग वसंत है,

तो संगीत के सात सुर भी वसंत है।

 

सीता और सावित्री की पवित्रता वसंत है,

तो राधा और कृष्ण की प्रेम की घनिष्ठता भी वसंत है।

 

कोयल की मीठी बोली वसंत है,

तो रंगों और उमंगों का त्योहार होली भी वसंत है।

 

गांवों और देहातों में हरे-पीले बूँट का ओढ़ा खाने की रीति वसंत है,

तो जेठानी-देवरानी प्रीति भी वसंत है ।

 

फागुन की राग वसंत है,

तो होलिका की आग भी वसंत है।

 

स्त्री का श्रृगांर पर मरना वसंत है,

तो भँवरों  का फूलों पर मँडराना भी वसंत है।

 

ॠतुराज में  वसुधा का परिधान वसंत है,

तो मिथिला का माछ,पान,मखान भी वसंत है।

 

बादल का धरती की प्यास बुझाने हेतु झमाझम बरसना वसंत है,

तो मोर का उमड़ती घटाओं को देख थिरकना भी वसंत है।

 

वसंत के अनंत रंग और ढ़ंग वसंत है,

तो प्रकृति का सतसंग भी वसंत है।

 

प्रकृति प्रेम की भाषा वसंत है,

तो श्रृंगार और सौंदर्य की परिभाषा वसंत है।

 

जीत की हार वसंत है,

तो प्रकृति का सार भी वसंत है।

About the Author

Rajiv Singh

Joined: 24 Aug, 2015 | Location: , India

Though i'm an English teacher,i love both Hindi and poetry from the bottom of my heart....

Share
Average user rating

4.92 / 13


Please login or register to rate the story
Total Vote(s)

20

Total Reads

1869

Recent Publication
Prakriti Aur Samay
Published on: 26 Aug, 2015

Leave Comments

Please Login or Register to post comments

Comments