• Published : 27 Aug, 2015
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जा रहे थे यूँ हम, एक गली से गुज़र

पड़ गई एक हंसी पे, हमारी नज़र

ठहरे ऐसे कदम, गिरा जैसे कहर

चाहा दिल ने यही, रुक जाए पहर

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

 

क्या कहें तारीफ में हम

बस खड़े भर रहे थे यूँ दम

चेहरा ऐसे खिला जैसे जगमग कमल

घनी लट जा रही गालों पे फिसल

वो शर्मो-हया वो मस्तानियाँ

सर पे चढने लगी जैसे दीवानियाँ

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

 

और कैसे कहें कुछ हम

लफ्ज़ जैसे लगे हैं ख़तम

लहरों जैसा यूँ चंचल दुपट्टा उड़ा

नैन हल्के झुके घबरायें बड़ा

लाली पे होठों  पे मानों फूलों सी हो

हँसी झरने के जैसी खनकती सी हो

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

 

करते हैं बस दुआ ये हम

उससे दूरी हो जाए कम

जानें हम भी उसे औरों की तरह

कट जाए ये रैना जो लाए विरह

साथ एक दूजे के हों हम

ऋतु नाचे ये छम छम छम

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

संभले कैसे ये दिल बोलो, ये राज़ ज़रा खोलो

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Cheshta Jain

Joined: 25 Aug, 2015 | Location: ,

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SAMBHLE KAISE YE DIL BOLO
Published on: 27 Aug, 2015

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