• Published : 27 Aug, 2015
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समेटे है अपने, अल्फाज़ो में तुझको, 
हर वो चेहरा, मैं पढ़ता हुँ जिसको,
 
जो केह्ता हुँ किसी को हाल मैं मेरा, 
हर बार ही ज़िक्र, होता है तेरा, 

हर लम्हे को शिकायत है, तुझ बिन बीत जाने की,
कोई राह भी ना मिलती है, तुझ तक चले आने की, 


मुमकिन हर कोशिश की, तुझको भूल जाने की,
मगर वजह भी ना मिली कोई , सिवा तुझको पाने की, 

कुच्छ बाकी भी ना छोडा, किया सब तेरे नाम, 
कभी बीत भी ना पाई, वो हिज्र की शाम,

न आया फ़िर सवेरा, कोई राह मे मेरी, 
ना नींद ही कभी आई, निगाह मे मेरी,
 
जब थक गये, सो गये, तेरे ख्वाब के लिए, 
जब उठे, फिर चल दिए, तेरी तलाश के लिए, 

कभी सोचता हुँ ये भी, तेरी तलाश है क्यू, 
तेरी खातिर ये ज़िंदगी, मुझसे निराश है क्यू,
 
ताक्बु मे तेरी, हर उम्मीद सो गयी, 
इन्न राहो मे रेह कर ,मेरी ज़िंदगी खो गयी,

अब ढूंडू मैं इसको, या तलाशु मैं तुझको,
कही कोई सिरा, ना मिलता है मुझको,

समेटे है अपने अल्फाज़ो मे तुझको, 
हर वो चेहरा, मैं पढ़ता हुँ जिसको,,

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Karan Aka Yogi

Member Since: 26 Aug, 2015

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Published on: 27 Aug, 2015

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