
कुछ गुमसुम सा है ये समा
तुझ बिन सूना सब यहाँ
अब दिल की महफिलों में
बस गम मेरा साखी है
तू तो है नही
बस तेरा एहसास बाकी है
मासूम दिल की कराह कोई सुनता नही
सुकून में भी अब सुकून मिलता नही
गीतों से लफ्ज़ गायब है
बस हल्का सा साज़ बाकी है
तू तो है नही
बस तेरा एहसास बाकी है
ज़माने ने हम दोनों को जुदा किया
तेरी यादों को दिल में संजो लिया
प्यार किया है कोई गुस्ताख़ी ना की है
फिर तेरे लबों पे मेरा नाम सुनने की प्यास बाकी है
तू तो है नही
बस तेरा एहसास बाकी है
कितनी अधूरी कहानी हमारी
मैं तो अब भी खडा़ हूँ बस कमी है तुम्हारी
तोड़ के सब बंधन मुझे मैं से हम कर दे
रही दिल में आखिरी ये आस बाकी है
तू तो है नही
बस तेरा एहसास बाकी है
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