
जी तो करता है तेरे माथे को चूम लूँ...
तेरे हाथों को अपने हाथों में लेके तेरे हाथों को चूम लूँ...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
सोचता हूँ...
तेरे दाँयें बाजू पे जो तिल है...
उसे अपने होंठों से छू लूँ...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
कभी सोचता हूँ...
तेरी गर्दन के पीछे हाथ ले जाऊँ...
और तुझे अपनी तरफ झुकाऊँ....
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
कभी ये भी सोचता हूँ...
कि तेरे माथे से अपना माथा लगाऊँ...
फिर आँखों को बन्द कर तेरी नाक से अपनी नाक छुआऊँ...
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
सोचता हूँ अपने हाथों को तेरे पेट तक ले जाऊँ...
और तुझे गुदगुदाऊँ...
तुझे हसाऊँ...
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
कभी ये भी सोचता हूँ तेरी पीठ हो मेरी तरफ....
और मैं तेरी पीठ पे अपनी ऊँगली फिराऊँ...
तेरी कमर से तेरे कन्धे तक जाऊँ...
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
सोचता हूँ
तेरे पैरों की ऊँगली पकड़ के खींचूँ...
तू जो पीछे हटे...
तुझे आगे को खींचूँ...
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
कभी ये भी सोचता हूँ...
तेरे पूरे बदन पे फैलता जाऊँ...
तेरे चेहरे पे आके हल्का सा मुस्कुराऊँ...
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
कुछ और भी सपने हैं जो मैं देखता हूँ...
तुझे एक छोटी सी बच्ची समझता हूँ...
तुझे अपनी गोद में उठाऊँ...
और तेरी गोद में खुद सो जाऊँ...
मगर क्या करूँ....
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं....
कभी ये भी सोचा था
कि तू कहीं जाती रहे और मैं पीछे से आऊँ...
तेरी कमर पे एक चिकोटी काट कर भाग जाऊँ...
फिर तू हो परेशान...
ढ़ूँढ़े मुझको होके हैरान...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
जी ये भी करता है कभी
कि तेरे गालों पे मजाक में एक झापड़ रख दूँ...
फिर जो तू दुखी हो
तो तुझे प्यार से मनाऊँ...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
कभी ये भी सोचता हूँ
तेरे बालों को खींचूँ...
तेरे कपड़ों को नोचूँ...
फिर जो तो गुस्सा हो
तो हँस के भाग जाऊँ...
फिर तुझे दूर से चिढ़ाऊँ...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
कभी जब तू खाती रहे
तेरा खाना छीन लूँ...
तेरे खाने से अच्छी-अच्छी चीजें बीन लूँ...
तू मुझे देखती रहे और मैं तुझे देखके मुस्कुराऊँ
और तेरे सामने ही तेरा खाना खाता जाऊँ...
तुझे गुस्सा आये मगर मैं न घबराऊँ...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
सोचता हूँ तेरे बालों को तेरे ही दुपट्टे से बाँध दूँ...
और तेरे दुपट्टे को किसी खूँटी से बाँध दूँ...
फिर जब तू चलने को हो तो तेरे बाल खिंच जायें...
और तू जोर से चिल्लाये...
और मुझको इस बात पे खूब हँसी आये...
और तू मुझे अपनी मदद को बुलाये...
मैं न आऊँ तो तुझे तेज गुस्सा आये...
तेरे गुस्से से मैं थोड़ा घबराऊँ...
फिर पहले ये वादा लूँ
कि डाँटोगी नहीं
तब ही तेरे दुपट्टे को खोलूँ...
फिर तू जल्दी-जल्दी दुपट्टे से
अपने बालों को अलग करे
और फिर मुझे दौड़ाये...
कि रूको जरा अभी मजा चखाती हूँ...
फिर मेरे होश उड़ जायें...
और तब कुछ समझ में न आये...
तेरे आगे हाथ जोड़ दूँ...
फिर तुझे मौका मिल जाये...
तू मेरे हाथों को उसी दुपट्टे से बाँध दे...
फिर कहे...
रुको जरा डण्डा लेके आती हूँ...
और अब मजा चखाती हूँ...
इधर तू डण्डा लेने जाये...
उधर मेरा हाथ दुपट्टे से खुल जाये...
और जब तू डण्डा लेकर आये..
तब वहाँ मुझे न पाये...
और अपनी इस हार पे
तू कुछ न कर पाये...
फिर मैं सामने आ जाऊँ...
और तेरा गुस्सा छू हो जाये...
और मुझे देख के तू मुस्कुराये...
फिर हम दोनों साथ में बैठ जायें...
कुछ बातें करें
और पुरानी सारी बातें भूल जायें...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं...
चाहता तो ये भी हूँ
कि मुझे तेरे साथ एक ही कफ़न में लपेटा जाए.
और मेरी कब्र में तुझे भी सुलाया जाए...
मगर क्या करूँ...
तेरी दुनिया में इसे सेक्स कहते हैं…
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