
सात अरब सबने और एक ग्रह,
हो गया है यहाँ प्रदूषण का संग्रह |
आज वातावरण में प्रदूषण बृद्धि के कारण
मौसम चक्र काफी अनिश्चित हो गया है|
कही अतिवृष्टि तो कही अनावृष्टि,
तो कही भूमिगत जल भी उपलब्ध नहीं हो रहा है|
पिघलते ग्लेशियर जलते घटते वन,
प्रदूषित हवा, जल और विषाक्त अन्न|
औद्योगिक कचरे की जो धार बही,
गंगा - यमुना और अनेक नदियों को मार|
ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भू मंडल नाशक है,
ठोस अपशिष्ट पालीथीन से बनी धरती नाजुक है|
भूमि हो रही बंजर, उर्बरको की बीमारी से,
पानी ऊर्जा की बर्बादी नित बढ़ती आबादी से|
जल, वायु और ये भूमि कुछ भी स्वच्छ रहा नही,
रोग मिल रहे ऐसे- ऐसे, जिनकी कोई दवा नहीं|
आज समय की मांग यही है, कुछ होश की बात करे,
बेरंग होते इस पर्यावरण की, हम हरित शुरुआत करे|
भले ही पेड़ लगाए एक, पूरी करे उसकी देखरेख,
सौर ऊर्जा का करे प्रयोग, कम करे विद्युत उपयोग|
रासायनिक खाद का कम छिड़काव, प्रदूषित भूमि से बचाव,
प्लास्टिक बैग को करे ना हमेशा भूमि प्रदूषण से सुरक्षा|
पर्यावरण का जब ही न्यूनतम शोषण, भाग जायेंगे सब प्रदूषण,
भोजन की जब अधिक खपत, अर्थव्यवस्था में लगी चपत|
आइये, सात अरब कदम चले एक ताल,
प्राकृतिक संसाधनो से समुचित उपयोग से
पृथ्वी हो जाये खुशहाल|

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